Dragon Fruit Plant – Organic Farming Practices India में

नमस्कार दोस्तों, जैसा की आप सभी जानते है की dragon fruit farming में केमिकल्स का इस्तेमाल दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है और इसका सीधा असर हमारी सेहत पे पढता है, कुछ नए युवा और समझदार किसान जैविक खेती का सहारा ले रहे है ताकि आने वाली पीढ़ी इसे अपना सके, आज हम बात करेंगे की जैविक खेती क्या है और Dragon Fruit Plant के लिए Organic Farming Practices India में कैसे हो सकती है।

Jaivik Kheti Kya Hai?

Organic Farming खेती करने का एक ऐसा तरीका है जिसमें खेती को प्रकृति के साथ संतुलन बनाकर किया जाता है। इसमें रासायनिक खाद, कीटनाशक और कृत्रिम बीजों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इसके बजाय, Organic संसाधनों और पुराने पारंपरिक तरीकों का सहारा लिया जाता है। जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य सिर्फ अच्छी और ज़ादा फसल उगाना नहीं है, बल्कि मिट्टी, पानी और पर्यावरण को भी संतुलित और साफ़ बनाए रखना है।

dragon fruit farming में जैविक खाद, में केचुए की खाद, हरी खाद, गई और पशुओं का गोबर गौ मूत्र इत्यादि और प्राकृतिक कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है, जिससे मिट्टी सालो साफ़ स्वस्थ और उपजाऊ बनी रहती है। फसल चक्र, मिश्रित खेती और सहयोगी फसलों जैसी तकनीकों से खेती को लंबे समय तक टिकाऊ और फायदेमंद बनाया जाता है।

Organic खेती सिर्फ खेती का तरीका नहीं है, बल्कि यह एक सोच है जो हमें धरती और जीवों के प्रति हमारी जिम्मेदारी को याद दिलाती है। कैसे प्रकृति का इस्तेमाल किया जाये बिना उसे नुक्सान पहुचाये।

Organic Practices in Dragon Fruit Plant

dragon fruit plant

Dragon Fruit Plant की खेती कई तरह से की जाती है, जिसमे से जैविक खेती को सबसे अच्छा माना जाता है। आइये जानते है जैविक माध्यम से ड्रैगन फ्रूट की खेती कैसे की जाती है।

जैविक खाद का इस्तेमाल

Dragon Fruit Plant जिसे खाने के मामले में Heavy feeder कहा जाता है ढेर साड़ी खाद और नुट्रिशन की ज़रूरत होती है। इन पौधों को साल में ३से ४ बार खाद डाली जाती है, और पौधे की उम्र को देखते हुए यह निश्चित किया जाता है की उसे क्या और कितनी बार देना चाहिए।

Plantation Ke Baad

dragon fruit farming में प्लांटेशन के समय ज़ादा खाद की ज़रूरत नहीं होती है, उस समय हमारा ध्यान इनकी जड़ो के विकास में होना चाहिए। प्लांटेशन के बाद आप खाद के रूप में गोबर की खाद में त्रिकोडर्मा और प्सूडोमोनस दाल कर कुछ दिन उसे ढक के तभी इस्तेमाल करे, आप चाहे तो वर्मी कम्पपोस्ट जिसे केचुए की खाद भी कहा जाता है या गई का गोबर, बकरी का या किसी भी पशु का दे सकते है।
(याद रखे की गोबर कम से कम 1 साल पुराना होना चाहिए, कच्चा गोबर धुप में मीथेन गैस रिलीज़ करता है जिससे पौधे जल भी सकते है )

Mature Plants

Dragon Fruit Plant की खाद में NPK होना चाहिए यही मेजर नुट्रिशन होते है, गोबर से नाइट्रोजन की पूर्ति हो जाती है लेकिन फोस्फरस और पोटाश की कमी को पूरा करने के लिए हमे अलग से आर्गेनिक कंपाउंड इस्तेमाल करने पढ़ते है , जैसे फॉस्फोरस के लिए रॉक फॉस्फेट जो की आर्गेनिक होता है उसका इस्तेमाल किया जाता है ताकि पौधे में फैलाव आ सके औरउसकी जड़ो की अच्छे से वृद्धी हो सके।

इसके साथ साथ कैल्शियम भी इन प्लांट्स के लिए बेहद ज़रूरी होता है जिसके लिए हम अन्धो के छिलके का इस्तेमाल करते है या बोन मील जिसे हड्डियों का चूरा भी कहते है जिसमे कैल्शियम और फॉस्फोरस भरपूर होता है।
बाकि माइक्रो नुट्रिएंट्स के लिए हम सागरिका का सीवीड फ़र्टिलाइज़र इस्तेमाल करते है जो की आर्गेनिक होता है और समुद्र में पायी जाती वाली शेहवाल से बनता है और इसके पोटाश भी होता है।

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मिटटी का Ph वैल्यू

ड्रैगन फ्रूट की खेती किसी भी तरह की मिटटी में की जा सकती है लेकिन यह slightly acidic मिटटी की मांग करता है और बिना केमिकल्स के मिटटी का फकम करना कठिन काम है। इसके लिए हम आर्गेनिक तरीक़ा इस्तेमाल करते है। हम waste decomposer, Jeev-Amrit, Gibberellic acid etc. का इस्तेमाल करते है।

Jeev-Amrit Kaise Banaye

यह एक तरह की तरल खाद होती है जिससे आर्गेनिक विधि से बनाया जाता है इसे बनाने के लिए :
200L ड्रम में पानी भर के उसमे 2 किलो गुड़ पिघला कर डाल ले , इसके बाद गाय या मूत्र 10 लीटर डाल के मिला ले, उसके बाद किसी बरगद या नीम के पुराने बड़े पेड़ के निचे की 5 किलो मिटटी लेकर उसको मिला ले, उसके बाद इसमें 10 – 15 किलो गाय का गोबर लेकर मिला ले। अब इस मिश्रण को सुबह शाम २से ३ मिनट डंडे से घुमाये और 8 दिन बाद फील्ड में इस्तेमाल करे। इस्तेमाल करने के लिए 10 लीटर में 1 लीटर जीव अमृत मिला के स्प्रे या ड्रिप से दे।

waste decomposer Kaise Banaye

२०० लीटर पानी से भरे ड्रम में waste decomposer जो की एक लैब में तैयार किया बैक्टीरिया होता है और छोटी डिब्बी नुमा पैकजिंग में आता है उससे डाल लेना है और २-३किलो गूढ़ पानी में घोल के मिला देना है और सुबह शाम २-३ मिनट डंडे से हिला लेना है और इसी तरह 7 से 8 दिन में waste decomposer बनकर तैयार हो जाता है।

Note: (हमेशा याद रखे की इस ड्रम को छाया में रखे और ढक के रखे)

Gibberellic acid Kaise Banaye

Gibberellic acid को आर्गेनिक विधि से बनाने के लिए आप २५लिटर की एक बाल्टी में पानी भर ले और उसमे 9 से 10 गोबर से बने उपले जिन्हे कंडे भी कहा जाता है लेने है और उस पानी में दबा के डूबा देने है , अंदर डालने के बाद उसके ऊपर कोई वज़नदार चीज़ रखे ताकि उपले पानी में अच्छे से भीगे रहे।

इस तरह से एक सप्ताह के अंदर इन उपलों से Gibberellic acid बनकर तैयार हो जाएगा। उसके बाद हम इसका इस्तेमाल स्प्रे या ड्रेंचिंग से कर सकते है इसके लिए १/३ पार्ट Gibberellic acid लेकर उसमे २/३ पानी डाल कर इस्तेमाल करे।
नोट: याद रखे की गोबर के उपले जितने ज़ादा पुराने होंगे उतना ज़ादा अच्छा है। कम से कम 1 साल के ज़रूर हो।

जैविक Fungus & कीट नियंत्रण

नीम का तेल

नीम का तेल एक बेहतरीन जैविक कीटनाशक है। इसे फसल पर छिड़कने से कीट दूर रहते हैं और पौधे स्वस्थ बने रहते हैं। इसका इस्तेमाल न केवल फसल की सुरक्षा करता है बल्कि मिट्टी को नुकसान पहुंचाए बिना कीटों को रोकने में भी मदद करता है।

Trichoderma

Trichoderma एक तरह का फंगस होता है जो पौधों के लिए बहुत अच्छा और मददगार होता है , इसके इस्तेमाल से ड्रैगन फ्रूट के पौधे स्वस्थ रहते है। त्रिकोडर्मा पौधे से पौधा नुट्रिशन अच्छे से ले पता है इसके निरंतर इस्तेमाल से बीमारियों के साथ साथ फंगस को कण्ट्रोल किया जा सकता है।

Bio Fungicide

ड्रैगन फ्रूट की खेती में कई तरह के रोग और फंगस होते है जिसके लिए अलग अलग तरह के बायो प्रोडक्ट्स भी उपलभ्द है जैसे कांटेक्ट फुनगुसडे एंड सिस्टेमेटिक फुनगुसडे।

इन तरीकों से न केवल फसलों को कीटों और रोगो से बचाया जा सकता है, बल्कि पर्यावरण और मिट्टी की गुणवत्ता भी बरकरार रहती है।


नोट: Ladybug नाम का एक कीट जिससे आम तौर से हर किसी ने देखा होगा किसानो का मित्र कहलाता है हमारे फार्म में रहकर वह फसलों को नुक्सान करने वाले कीटो जैसे aphids, mealybugs को खाकर ज़िंदा रहता है उन्हें नुकसान न पहुचाये और ऐसी छोटी छोटी चीज़ो को गौर से देख के उन्हें रहने दे।

अगर आपका कोई भी प्रशन्न या शुजाव हो तो हमे कमेंट के द्वारा ज़रूर बताये
धन्यवाद।

FAQ

Q1- ड्रैगन फ्रूट की खेती जैविक तरीके से संभव है ?
Ans- हाँ ड्रैगन फ्रूट की खेती भारत में आर्गेनिक तरीके से की जा रही है अधिक जानकारी के लिए इस ब्लॉग को पूरा पढ़े।

Q2- Dragon Fruit Plant के रेट पर आर्गेनिक खेती का कोई प्रभाव होता है ?
Ans- आर्गेनिक खेती से कमर्शियल फार्मिंग में अधिक प्राइस मिलता है इससे मार्किट में अच्छा नाम होता है। क्युकी इसकी विधि से उगाये फ्रूट्स ज़ादा पौष्टिक होते है।

Q3- क्या Dragon Fruit Plant की खेती जैविक तरीके से करने से मुनाफा होता है ?
Ans- हाँ मार्किट में आर्गेनिक विधि से उगाये फ्रूट्स की अधिक मांग हो और इससे आप अच्छा मुनाफा कमा सकते है।

Q4- Dragon Fruit Plant की खेती में जैविक और केमिकल दोनों मिक्स करके दे सकते है ?
Ans- हाँ ड्रैगन फ्रूट की खेती में आप mix करके भी इस्तेमाल कर सकते है।