Disease in dragon fruit farming (5 Easy Tips)

नमस्कार स्वागत है आपका हमारे इस ब्लॉग में, जैसा की आप सभी को पता होगा की ड्रैगन फ्रूट, जिसे पिताया भी कहा जाता है, देखने में बेहद आकर्षक और पोषक तत्वों से भरपूर फल है। हालांकि, अन्य पौधों की तरह यह भी कई बीमारियों के प्रति संवेदनशील होता है, जो इसके स्वास्थ्य और उत्पादन को प्रभावित कर सकती हैं।

dragon fruit farming के लिए इन बीमारियों को पहचानना और उनका प्रबंधन करना बेहद जरूरी है। ड्रैगन फ्रूट में कई तरह के फंगस और बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स पाए जाते है लेकिन 4 तरह के डिजीज काफी कॉमन पाए जाते है यहां Disease Control in dragon fruit plant और ड्रैगन फ्रूट पौधों को प्रभावित करने वाली कुछ आम बीमारियों और उनके समाधान के बारे में जानकारी दी जा रही है।

Anthracnose – common disease in dragon fruit farming

Dragon Fruit Tree
Dragon Fruit Tree sunburn in winter

एंथ्रेक्नोज disease in dragon fruit farming के लक्षण:

  • तनों पर धब्बे: सबसे पहले हमे देखना है की शुरुआत में तनों पर छोटे, गहरे भूरे या काले रंग के गोल धब्बे दिखाई देते हैं और ये धब्बे धीरे-धीरे बड़े होकर सूखे घाव का रूप ले लेते हैं आप चाहे तो फोटो से देख कर समझ सकते है।
  • फलों पर प्रभाव: अगर फलो की बात करे तो फल पर छोटे, पानी से भरे धब्बे बनते हैं, जो बाद में गहरे भूरे रंग के हो जाते हैं और इनका आकार बड़ा होता जाता है। इन धब्बों के ऊपर एक पतली, गुलाबी या नारंगी परत भी बन सकती है, जो फंगस के अटैक का sign है। एंथ्रेक्नोज के जीवन चक्र को समझिये:

यह फंगस पौधे के अवशेषों पर लंबे समय तक जीवित रह सकता है और जैसे हे मौसम अनुकूल होता है यह तेज़ी से फ़ैल जाता है। खास तौर से बारिश या ज़ादा नमी में यह फंगस फ़ैल सकता है – (लगभग 25-30°C) एंथ्रेक्नोज के प्रसार को तेज करते हैं।

रोकथाम और नियंत्रण के उपाय:

  1. साफ-सफाई: संक्रमित पौधों के हिस्सों को काटकर दूर कर देना चाहिए ताकि फंगस का को बढ़ने से रोका जा सके।
  2. संतुलित सिंचाई: पौधों पर सीधे पानी का छिड़काव न करें, बल्कि जड़ों में पानी दें ताकि नमी ज्यादा न बढ़े।
  3. फंगीसाइड का उपयोग: कॉपर-आधारित या कार्बेन्डाजिम और सिस्टेमेटिक फंगीसाइड का उपयोग प्रभावी माना जाता है, लेकिन इसे सावधानीपूर्वक और विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही प्रयोग करना चाहिए।

जैविक नियंत्रण- dragon fruit farming in India

dragon fruit plant me कुछ जैविक फंगीसाइड और लाभदायक बैक्टीरिया जैसे ट्रिचोडेर्मा और Bacillus प्सूडोमोनस भी फंगस को रोकने में सहायक हो सकते हैं। इनका उपयोग करके एंथ्रेक्नोज को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा सकता है, जिससे केमिकल फंगीसाइड पर निर्भरता कम हो।
इसके आलावा निरंतर नीम आयल का स्प्रे करने से रोकथाम किया जा सकता है, ट्रीटमेंट से बेहतर प्रीकॉशन्स लेना बेहतर होता है।

Stem Canker in dragon fruit farming

 disease in dragon fruit farming canker
dragon fruit ki kheti kaise kare

जो लोग dragon fruit farming करते है उन्हें पता है की stem canker ड्रैगन फ्रूट के लिए एक खतरनाक बीमारी है। इसे Neoscytalidium दिमीडिएटुम नामक फंगस के कारण होती है। यह बीमारी लगने से शुरुवात में हे पौधे की ग्रोथ रुकने लगती है और अगर समय पर इसे नियंत्रित न किया जाए तो पुरे बाग को नष्ट भी कर सकती है।

Also Read: Dragon fruit farming tips

स्टेम कैंकर के लक्षण-Disease Control in dragon fruit plant

  • स्टेज 1: सबसे पहले स्टेम कांकेर छोटे डॉट्स के रूप में नज़र आता है को शुरुवात में कण्ट्रोल कर लिया जाये तो बेहतर होता है इसे सही समय पहचानना आसान होता है आप चाहे तो फोटो में देख कर समझ सकते है।
  • stage2 – दूसरी स्टेज में यह एक काले भूरे राउंड स्पॉट जैसा नज़र आता है अगर यहाँ आप इसे पहचान कर सही इलाज नहीं देते है तो यह ठीक नहीं किया जा सकता है।
  • Stage3 – तीसरे स्टेज में पूरा लीफ गलने लगता है और ऐसे में आपको उसे इतनी जगा से काट के अलग कर देना चाहिए , और ध्यान रखे की उसे अपने फार्म से बाहर निकल दे क्युकी यह एक से बाकि पौधों में फैलने में देर नहीं लगता।

रोकथाम और नियंत्रण के उपाय – dragon fruit ki kheti kaise kare

ट्रीटमेंट से बेहतर होता है की आप अपने फार्म में कुछ चीज़ो का खास ख्याल रखे
1 – अपने फार्म को साफ़ रखे घास और बाकि चीज़ो को इस तरह मैनेज करे की पौधों के लिए अछि वेंटिलेशन होती रहे। वीड मैनेजमेंट सही तरह से करते रहे खास तौर पे बारिश के दिनों में क्युकी घास के बेच ज़ादा नमी से पौधों में फंगस के बढ़ने का खतरा होता है।
2 – हर मौसम में एक रूटीन से कोपेरोक्सीक्लोरीदे का एक स्प्रे अपने फार्म में ज़रूर करे, बरसात और ठण्ड के समय नेटिवों का स्प्रे करे

जैविक उपचार

कुछ जैविक उपाय भी इस फंगस को कुछ हद तक नियंत्रित करते है जैसे Trichoderma और सुदपमानस नियमित तौर पर इस्तेमाल करने से बीमारियों और फंगस को रोका जा सकता है।

नोट: ड्रैगन फ्रूट में कई तरह की बैक्टीरियल और फंगस होते है और इन्हे सही तरह से पहचानना ज़रूरी है एक बार सही बीमारी को पहचाने पर ही हमे स्प्रे करना चाहिए।

Fruit Rot-dragon fruit farming

Disease Control in dragon fruit plant
Disease Control in dragon fruit plant

ड्रैगन फ्रूट में फ्रूट रॉट एक सामान्य बीमारी है, जो Bipolaris cactivora नामक फंगस के कारण होती है। यह फंगस अधिक बारिश या नमी के कारण तेजी से फैलता है, खासकर जब फल पकने के बाद बारिश होती है या पानी ज़ादा होने के दौरान अधिक नमी होती है।

बीमारी के लक्षण

ड्रैगन फ्रूट में जब फूल खिलता है उसके 25-35 दिनों बाद फल पकना शुरू कर देता है, और इस समय बारिश भी साथ साथ चलती है जिसकी वजा से सभी फलों में संक्रमण का खतरा रहता है। शुरुआत में फल की सतह पर गोल, भूरे या हल्के भूरे रंग के धब्बे दिखने लगते है – यह निशान फल में अंदर तक फ़ैल जाते है और धीरे धीरे पूरा फल खराब हो जाता है।

नियंत्रण के उपाय – dragon fruit ki kheti kaise kare

  1. फंगीसाइड का प्रयोग: तांबा आधारित फंगीसाइड, मैंकोज़ेब और मेटालैक्सिल जैसे रसायनों का उपयोग करना चाहिए। सप्ताह में एक बार इन फंगीसाइड्स का छिड़काव किया जा सकता है ताकि फंगस नियंत्रित रहे।
  2. संक्रमित हिस्सों को काटना: पौधे के उन हिस्सों को काटकर हटा देना चाहिए जो संक्रमित हो चुके हैं। इससे फंगस के अन्य हिस्सों में फैलने का खतरा कम हो जाता है।
  3. साफ-सफाई और नमी नियंत्रण: पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखना चाहिए और सीधे फलों पर पानी का छिड़काव नहीं करना चाहिए, ताकि नमी फलो के ऊपर न रहे।

इन साधारण उपायों का पालन करके ड्रैगन फ्रूट में फ्रूट रॉट की समस्या को कम किया जा सकता है, जिससे स्वस्थ और लंबे समय तक ताजे फलों का उत्पादन किया जा सकता है।

Rot in Dragon fruit

dragon fruit farming में रॉट जिस फंगस के कारन होता है उसे Fusarium, Bipolaris, और Alternaria, जो पौधे के तनों और शाखाओं को नुकसान पहुंचाते हैं।

लक्षण

  1. तनों का पीला पड़ना: अगर आप देखे शुरुआत में तने पीले हो जाते हैं और फिर उन पर भूरे रंग के फफोले उभरने लगते हैं। ये फफोले तेजी से फैलते हैं और तने सड़ने लगते हैं।
  2. ऊपरी शाखाओं पर असर: आपके फार्म में पश्चिम दिशा की ओर देखे और उस दिशा की ओर मुड़ी शाखाओं पर इस बीमारी का ज्यादा असर होता है, क्योंकि दोपहर की ३-४ घंटे इस दिशा में तेज़ धुप होती है।

कुछ दिनों के बाद प्रभावित हिस्से सूखने लगते हैं और केवल बेच की टियूब बचती है। इससे पौधे की प्रकाश संश्लेषण और नई शाखाएं उगाने की क्षमता घट जाती है, जिससे अगले सीजन में फल का उत्पादन प्रभावित होता है।

रोकथाम के उपाय -dragon fruit ki kheti kaise kare

  1. पर्याप्त पानी देना: पौधों को पर्याप्त पानी दें और नमी बनाए रखें। दोपहर के समय पानी देने से बचे और अगर पौधे पहले से पीले है तो पानी देने से बचे क्युकी ऐसे में पानी देने से फंगस का खतरा बढ़ जायगा।
  2. संतुलित पोषण: पौधे के लिए खाद और मुल्टिनुतरितिओं का ख्याल रखे। नाइट्रोजन का प्रयोग कम करें और मैग्नीशियम, सिलिकॉन और पोटैशियम, कैल्शियम, जिंक की मात्रा बढ़ाएं।
  3. सड़े हिस्से को साफ करना: संक्रमित तनों और शाखाओं को काटकर साफ करें। इसके बाद किसी भी सिस्टेमेटिक फंगीसाइड का उपयोग करें।

dragon fruit ki kheti kaise kare : इन उपायों का पालन करके आप पौधे को स्वस्थ रख सकते हैं और याद रखे की जितना ज़ादा समय आप अपने फार्म में पौधों के साथ बिताएंगे उतना ही आप उनकी ज़रूरतों को समझ पायगे।

अगर आपका कोई भी सुझाव या प्रशन्न हो तो हमे कमेंट करके बताये
धन्यवाद्

FAQ:

Q1- Best fungicide for dragon fruit farming?

Ans: किसी भी को इस्तेमाल करने से पहले अपने प्लांट की कंडीशन को देखे और तभी कुछ इस्तेमाल करे क्युकी हर बीमारी के लिए अलग fungicide लगता है।

Q2- फंगस को हमेशा के लिए कैसे रोके ?

Ans- precaution लेना weed control aur सही समय पर प्लांट को नुट्रिशन और Trichoderma और fungicide देते रहने से फंगस का खतरा काम हो जाता है।

Leave a Comment