जैसे की आप सभी को पता है की western disturbance से भारत में मौसम में बेहद बदलाव आ गया है और इसका असर पेड़ और पौधों में भी देखा जा सकता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती अभी भारत में तेज़ी से बढ़ रही है लेकिन मौसम में एक के बाद एक बदलाव इसे नए और पुराने हर तरह के किसानो के लिए मुश्किलें बढ़ा रहा है। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे की Effect of Climate Change affecting Dragon Fruit Growth Time और बदलती जलवायु का क्या प्रभाव देखने को मिल रहा है और इससे बचने के लिए क्या कदम उठाये जाने चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट की खेती पर बदलते मौसम का असर
ड्रैगन फ्रूट की खेती हाल के कुछ साल में भारत में तेज़ी से बढ़ी है और जैसा की आप सभी जानते है की यह एक ट्रॉपिकल कैक्टस है जिसे माध्यम तापमान में उगाया जाता है लेकिन dragon fruit growth time इसकी खेती की जा रही है मुख्य रूप से हरियाणा, पंजाब उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के निचले इलाको में इसकी खेती की जाने लगी है लेकिन कुछ सालो से जेसे मौसम में बदलाव आ रहे है और देश दुनिया में भर में गर्मी बढ़ती जा रही है और ठण्ड अपने समय से कम होने लगी है यह अच्छे संकेत नहीं माने जा सकते है।
आइये जानते है इस मौसम में बदलाव के कारण।
बदलते जलवायु के कारण
अगर भारत की बात करे इस बार उत्तर भारत में सर्दी जल्द खत्म होने और गर्मी जल्दी आने के पीछे कई वजहें हैं। पहले के मुकाबले इस साल ठंड ज्यादा दिन नहीं चली और फरवरी खत्म होते-होते गर्मी ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया। आइए समझते हैं कि इसके पीछे क्या कारण रहे—
- Western Disturbance कमजोर रहा
हर साल सर्दियों में उत्तर भारत में (Western Disturbance) सक्रिय रहता है, जिससे ठंडी हवाएँ, बारिश और बर्फबारी के हालत बनते है। लेकिन इस साल ये ज्यादा सक्रिय नहीं रहा, और जिससे ठंड जल्दी खत्म हो गई और गर्मी जल्दी आ गई। - जलवायु परिवर्तन (Climate Change)
हर साल मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है, और इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से धरती का तापमान बढ़ रहा है, जिससे dragon fruit plant problems बढ़ती है और ठंडी के दिन कम होते जा रहे हैं और गर्मी पहले आने लगी है। - ठंडी हवाएँ जल्दी कमजोर पड़ गईं
उत्तर भारत में ठंड को बनाए रखने में हिमालय से आने वाली ठंडी हवाओं का बड़ा योगदान होता है। इस बार ये हवाएँ जल्दी कमजोर पड़ गईं और दक्षिण से गर्म हवाएँ आनी शुरू हो गईं, जिससे तापमान अ नियमित तरह से बढ़ना शुरू हो गया है। - बारिश और बर्फबारी की कमी
जनवरी-फरवरी में कम बारिश और बर्फबारी हुई, जिससे वातावरण जल्दी गर्म होने लगा। पहाड़ों पर अगर ज्यादा बर्फबारी होती तो ठंडी हवाएँ और देर तक चलतीं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। - प्रदूषण और शहरीकरण का असर
बड़े शहरों में लगातार बढ़ता प्रदूषण और construction (इमारतें और सड़कें) वातावरण को तेजी से गर्म कर देते हैं। पेड़ों की कटाई भी इसका एक बड़ा कारण है। - महासागरों का असर
हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में समुद्री तापमान बढ़ने से भी भारत के मौसम पर असर पड़ता है। इस बार समुद्र की गर्मी ज्यादा रही, जिससे दक्षिण से आने वाली गर्म हवाएँ जल्द सक्रिय हो गईं और ठंड कम देखने को मिली।
ड्रैगन फ्रूट की खेती में दिखता प्रभाव
तेज़ गर्मी से ग्रोथ पर असर
dragon fruit growth time प्लांटेशन का सही समय फरवरी का आखरी हफ्ता और मार्च माना जाता है इस समय पर की गयी प्लांटेशन अगले साल जुलाई में fruiting के लिए तैयार हो जाती है। लेकिन मौसम बदलने के बाद से ही ड्रैगन फ्रूट की ग्रोथ में बदलाव देखने को मिला है
मार्च में हे तेज़ गर्मी पढ़ने के कारण ड्रैगन फ्रूट के पौधे छोटे होने के कारण पीले पढ़ने लगते है और झुलसना शुरू हो जाते है जबकि हम मार्च में इसी लिए प्लांटेशन करते है ताकि मई और जून में जब तापमान सबसे ज़ादा होता है तबतक पौधे थोड़ी ग्रोथ ले ले लेकिन इसके विपरीत पौधे बढ़ ही नहीं पाते और सूखने लगते है। नए किसान नहीं जानते की ऐसे में पौधे को क्या देना चाहिए जिससे समस्या बानी रहती है।
बारिश देर से आने से फूलो और फलो में गिरावट
ड्रैगन फ्रूट के पौधे western disturbance से पूरी तरह dragon fruit growth time Nahi हो पाते है और जब fruiting
का समय आता है तब या तो पौधों में फूल देर से शुरू होते है या फूल पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते। बाद में अनियंत्रित बारिश होने से पौधे ज़ादा नमी में अपना पोलन जिससे फूल फल में विकसित होता है उसे खो देते है जिससे नतीजा यह निकल कर आता है की फलो में गिरावट देखने को मिलती है।
हर समय गर्मी से ड्रैगन फ्रूट के पौधों में स्ट्रेस
इस समय हिमाचल प्रदेश जहा हमारा फार्म है यहाँ की बात करे तो गर्मियों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी 42 डिग्री तापमान रहा उसके बाद बारिश कम रही और सर्दियों में भी तेज़ धुप से हमारे पौधे परेशान रहे। इस तरह के मौसम से पौधे स्ट्रेस में आ जाते है उन्हें स्ट्रेस से निकलने में समय लगता है और तबतक देर हो जाती है।
नए किसान भाई इस बात को देर से समझ पाते है की dragon fruit growth time ड्रैगन फ्रूट के पौधों को स्ट्रेस और साल भर मौसम में ऐसे बदलाव में क्या दिया जाना चाहिए। इस साल मल्चिंग और खाद देने के बाद भी हिमाचल में ऐसा मौसम रहा की रात को ठण्ड और दिन में अत्यधिक गर्मी। ऐसा होना सामान्य बात नहीं है। हमने किसी तरह पौधों को स्वस्थ रखा है लेकिन इस बात की चिंता है की आने वाले समय में किस तरह से मौसम इन पौधों को प्रभावित करने वाला है।
गलत समय पर बारिश और ठण्ड होने से बीमारियों का खतरा
बेमौसम बारिश और गर्मी या ठण्ड से पौधे स्ट्रेस में रहने लगते है इसका मतलब है की ओपन फील्ड में ड्रैगन फ्रूट की खेती पूरी तरह से अब कामयाब नहीं हो सकती – ड्रैगन फ्रूट की खेती में अपने अनुभव से हमे यह समझ में आया है की जब पौधा स्ट्रेस में आ जाता है पीला होना शुरू हो जाता है तब उसे मैनेज करना मुश्किल हो जाता है क्युकी कमज़ोर स्पॉट पर ही बारिश होने पर फंगस या बीमारी हमला करती है।
सर्दियों में फूल आना
सर्दियों में ड्रैगन फ्रूट के पौधे डोरमैट स्टेज में चले जाते है यानि गहरी नींद की अवस्था ताकि खुद को ऐसे मौसम में बचाया जा सके ऐसे में पौधों में ग्रोथ नहीं होती लेकिन जनवरी के महीने में हमारे पौधों में flower buds देखने को मिल रहे है जो दर्शा रहे है की मौसम का प्रकृति पर कैसा प्रभाव पढ़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन के बीच ड्रैगन फ्रूट के लिए आवश्यक रणनीतियाँ
Shedding
दुनिया में बदलता मौसम और बढ़ती गर्मी को देखते हुए हम इस बात को समझ रहे है की ड्राफोन फ्रूट की खेती पूरी तरह से खुली ज़मीन पर नहीं की जा सकती और अगर की हो तो पूरी तरह से कामयाब होना मुश्किल है। ड्रैगन फ्रूट एक ट्रॉपिकल कैक्टस के नाम से जाना जाता है जिसे मध्यम तापमान में उगाया जाता है। उत्तर भारत में हमने हिमाचल प्रदेश जैसे इलाके में इसका successful ट्रायल लिया है इसके लिए हमने green shade net का इस्तेमाल किया है।
Shade NET | Green, White |
GSM | 110 or more |
Shading % | 40% to 50% only |
Tonic
ड्रैगन फ्रूट की खेती में टॉनिक्स बेहद अहम् हो गए है खास तौर से ऐसे बदलते मौसम में क्युकी पौधा स्ट्रेस में आ जाता है और उससे कमज़ोर पढ़ने लगता है। ऐसे में हम रूटीन से पौधों को spray के माध्यम से एक घोल तैयार करके देते है :
- Sagarika seaweed Liquid
- Bio vita seaweed Growth Promoter
- NPK 19-19-19
इनमे से सागरिका थोड़ा सस्ता होता है लेकिन Bio Vita अच्छा रिजल्ट देता है इसका इस्तेमाल करने से पौधों में स्ट्रेस नहीं आता क्युकी यह समुद्री शेहवाल से बना होता है जिसमे पौधे की ज़रूरत के सभी तरह से नुट्रिशन होते है इसमें balance fertilizer 19-19-19 जिसमे नाइट्रोजन , फॉस्फोरस , पोटाशियम तीनो पाए जाते है जो की 100 % water soluble होते है यानि पूरी तरह पानी में घुल जाते है जिन्हे एक मिश्रण बना कर महीने में कम से कम 2 बार इस्तेमाल करने से पौधों में स्ट्रेस आना कम होने लगता है।
इसके बाद अगर पहले से पौधे स्ट्रेस में हो तो green miracle का इस्तेमाल करे यह पौधों के स्ट्रेस को कम करके sunburn को ठीक करने में मदद करता है।
Kaolin Clay
Kaolin clay जिसे China clay के नाम से भी जाना जाता है एक हर्बल प्रोडक्ट है जिसे कई चीज़ो में इस्तेमाल किया जाता है यह सफ़ेद रैंड का बारीक़ पाउडर form में होता है इसका घोल बना कर पौधों पर spray करने से उनपर एक पतली सफ़ेद रंग की परत बन जाती है dragon fruit plant problems गर्मी और सर्दी में इससे पौधों को मौसम का सीधा प्रभाव नहीं झेलना पढता।
वाटर मैनेजमेंट
water management पौधों के लिए बेहद ज़रूरी है गर्मियों में हमे पानी को कम देना चाहिए और सर्दियों में इसकी need ज़ादा होती है इसके लिए अनुभव होना ज़रूरी है इसलिए धीरे धीरे करके मौसम के हिसाब से पानी को कमौर ज़ादा करके जायज़ा ज़रूर ले।
जैविक खाद
inorganic खाद जैसे की यूरिया,डी ए पी, यह केमिकल बेस्ड स्लो रिलीज़ खाद होती है जो गर्म होती है और पौधों को तेज़ी से nutrition तो देती है लेकिन इसके दुष्परिणाम यह है की मिटटी में मौजूद healthy जीवाणु कम होने लगते है इसलिए आर्गेनिक खाद का इस्तेमाल करे इससे मिटटी की गुणवत्ता भी अच्छी रहती है और पौधे ज़ादा स्वस्थ रह पाते है।
Mulching
मल्चिंग बेहद कामयाब देखी गयी है इससे मिटटी में नमी बनी रहती है और इसी नमी में अच्छे बैक्टीरिया भी पनपते है जो पौधों को स्वस्थ रखते है। मल्चिंग से नमी देर तक बनी रहती है और पानी की बचत भी होती है।
अगर आपका कोई प्रशन्न या सुझाव हो तो हमे कमेंट करके बताये।
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